99, 199, 499.. Sale में चीजों की कीमत क्यों होती हैं ऐसी, जानिए आखिर ₹1 बचाकर कंपनियों को क्या मिल जाता है
Written By: ज़ीबिज़ वेब टीम
Sun, Oct 06, 2024 01:23 PM IST
जब भी कोई SALE लगती है, तो उसमें एक खास चीज देखने को मिलती है. हर सेल में तमाम प्रोडक्ट की कीमतें 99, 499, 999 जैसी रखी जाती हैं. इन दिनों अमेजन की ग्रेट इंडियन फेस्टिवल (Great Indian Festival) और फ्लिपकार्ट की बिग बिलियन डे (The Big Billion Days) सेल चल रही है. इसमें भी आपको इसी तरह के प्राइस टैग देखने को मिल रहे होंगे. यहां एक बड़ा सवाल ये उठता है कि आखिर किसी भी प्रोडक्ट की कीमत 1 रुपये कम रखकर ये कंपनियां क्या हासिल कर लेती हैं? दरअसल, ये सब एक खास मार्केटिंग स्ट्रेटेजी को ध्यान में रखकर किया जाता है. आइए जानते हैं इसके बारे में और समझते हैं 1 रुपये का खेल.
1/5
साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी का है सारा खेल
अगर आप भी ये सोच रहे हैं कि आखिर 1-1 रुपये बचाकर किसी भी कंपनी को क्या मिल जाता है तो आपको बता दें कि ये सब एक मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के तहत किया जाता है. इस तरह के प्राइस टैग साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी (Psychological Pricing Strategy) के तहत रखे जाते हैं, जिससे अधिक से अधिक ग्राहकों को लुभाया जा सके.
2/5
9 के फिगर में लिखी कीमत 1 के करीब लगती है
जब भी कोई शख्स किसी प्रोडक्ट की कीमत में 9 के फिगर को देखता है तो उसे प्रोडक्ट की कीमत कम लगती है. आसान भाषा में समझें तो ग्राहक को 9 के फिगर में लिखी कीमत 10 के बजाय 1 के ज्यादा करीब लगती है. ऐसे में अगर किसी प्रोडक्ट की कीमत 499 रुपये है तो वह ग्राहकों को 400 रुपये के करीब और 500 रुपये से दूर लगती है, जबकि होता इसका उल्टा है.
TRENDING NOW
3/5
सिर्फ बातें नहीं, एक्सपेरिमेंट से हो चुका है ये साबित
अगर हम बात करें साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी की तो इसे लेकर शिकागो यूनिवर्सिटी और एमआईटी में इस पर कुछ एक्सपेरिमेंट हो चुके हैं. इस एक्सपेरिमेंट के तहत महिलाओं के कपड़ों को 34 डॉलर, 39 डॉलर और 44 डॉलर की कैटेगरी में रखा. देखने को मिला कि सबसे ज्यादा 39 डॉलर कीमत वाले कपड़े बिके. इससे साइकोलॉजिकल प्राइसिंग स्ट्रेटेजी की बात को मजबूती मिली. यही वजह है कि इस स्ट्रेटेजी का खूब इस्तेमाल किया जाता है.
4/5
आपने भी अनुभव किया होगा ये
5/5